साधु शब्द रूप Sadhu Shabd Roop In Sanskrit See Now In Grammar FAQ

साधु शब्द रूप Sadhu Shabd Roop In Sanskrit See Now In Grammar FAQ

आप सभी का इस sanskrit grammar के sadhu shabd roop in sanskrit में स्वागत है। इससे पहले हमने तत्,बालक,अस्मद्,युष्मद्,लता,राम शब्द रूप कर लिए हैं। आज का Shabd roop साधु शब्द रूप बहुत महत्वपूर्ण है। साधु शब्द रूप एक उकारान्त शब्द रूप होता है। यह पुलिंग भी है जो पुरुष जाति का बोध अथवा पहचान कराता है। इसको हम साधु उकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द रूप भी कह सकते हैं।

आज हम साधु शब्द रूप के बारे में पढ़ रहे हैं तो मैं आपको साधु के बारे में पूर्ण जानकारी free mein दुंगा।

साधु शब्द रूप Sadhu Shabd Roop In Sanskrit See Now In Grammar FAQ

साधु का विलोम sadhu ka vilom
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आज हम साधु शब्द रूप के बारे में पढ़ रहे हैं तो मैं आपको साधु के बारे में पूर्ण जानकारी दुंगा। हम यहां पर साधु का विलोम शब्द भी जान लेते हैं। साधु का विलोम शब्द क्या होता है साधु वह होता है जो तपस्या(तप) करता है। वह तपस्वी होता है। उसे संसार की धन दौलत से लगाव नहीं होता है, जो ईश्वर की भक्ति में लीन होता है और सत्कर्म करता है, वह साधु होता है तो अब साधु का विलोम शब्द पाखंडी, असाधु और चोर लालची होता है।

साधु शब्द का स्त्रीलिंग शब्द 👇

यदि आप सभी को साधु के स्त्रीलिंग शब्द नहीं पता है तो मैं आप सभी को बता देता हूं। साधु शब्द उकारांत पुल्लिंग संज्ञा शब्द रूप है तो साधु का स्त्रीलिंग शब्द साध्वी होता हैसाध्वी का पुलिंग शब्द साधु होता है।

साधु शब्द का बहुवचन 👇

क्या आपको साधु शब्द का बहुवचन पता है? यदि पता है तो बहुत अच्छी बात है, अगर नहीं पता है तो मैं बता देता हूं। साधु शब्द का बहुवचन साधु ही होता है साधु शब्द का बहुवचन साधुओं या साधुएं नहीं होता है। साधु शब्द अपने आप में बहुलता को ही प्रकट करता है। इसीलिए साधु ही सही उत्तर होता है।

Sadhu shabd roop in sanskrit grammar table below 👇

विभक्ति  एकवचन   द्विवचन    बहुवचन
प्रथमासाधु: साधू साधव:
द्वितीया साधुम् साधूसाधून्
तृतीया साधुनासाधुभ्याम्   साधुभि:
चतुर्थी साधवेसाधुभ्याम्  साधुभ्य:
पंचमी साधो: साधुभ्याम् साधुभ्य:
षष्ठी साधो: साध्वो: साधूनाम्
सप्तमी साधौ साध्वो: साधुषु
संबोधन  हे साधौ!हे साधू!हे साधव:!

साधु शब्द रूप चित्र में देखिए 👇

See below 👇
Sadhu shabd roop in sanskrit grammar video

कुछ विशेष उकारान्त पुलिंग संज्ञा शब्द भी इस तरह ही बनेंगे, अब आप उनको यहां पर देखिए रितु, तरु, अणु, इंदु, प्रभु, बंधु, बिंदु, गुरु, मनु, शत्रु, सिंधु, लघु, मनु, शम्भु, तंतु, दयालु, धातु, पशु, भानु, मृत्यु, जंतु, रिपु, शिशु, हेतु, वायु, विष्णु आदि।

साधु के प्रकार 
साधु संतों की अपनी एक विचित्र दुनिया होती है। आम आदमी इनकी विचित्र दुनिया को देखकर हक्का-बक्का रह जाता है। इस दुनिया में भी साधु के कई नाम व प्रकार होते हैं। यें अपने नाम व कार्य से भी जाने जाते हैं
साधु के प्रकार जानते हैं👇

अलेस्बिया 
यह अलेस्बिया को सन्यासी भिक्षा मांगने के समय बोलते हैं  यें साधु चांदी, तांबा, पीतल आदि से बने तोरा, छल्ला आदि आभूषणों को धारण करते हैं। लोगों का ध्यान अपनी ओर करने के लिए अपने कमर पर छोटी घंटियां भी बांधते हैं।

दंडी 
जो साधु अपने साथ दंड और कमंडल को रखते हैं, दंडी साधु कहलाते हैं। इनका दंड एक बांस का टुकड़ा होता है जिसको गेरुआ रंग के कपड़े से लपेट कर रखते हैं। यह किसी भी प्रकार की धातुओं की वस्तुएं नहीं छूते। दिन में दीक्षा के लिए बार-बार न जाकर केवल एक बार जाते हैं।

ऊर्ध्वमुखी
यें साधु अपने सिर को नीचे की तरफ और पैर ऊपर किए रखते हैं। यें साधु पेड़ आदि से पैरों को बांध दिया करते हैं।

ऊर्ध्वबाहु
यें साधु ईश्वर को प्रसन्न करने हेतु अपने एक अथवा दोनों(द्वि) हाथों को ऊपर की ओर किए रखते हैं।

धारेश्वरी
जो साधु दिन-रात के समय खड़े ही रहते हैं। वो खड़े-खड़े ही सोते हैं, खड़े-खड़े ही भोजन व पूजा करते हैं। ऐसे साधु को हठयोगी भी बोला जाता है

मौनव्रती
जो साधु चुपचाप रहकर ईश्वर में लीन रहते हैं। यह अपनी बात कहने के लिए नोट-बुक पर पेन की सहायता से अपनी बातों को लिख कर देते हैं।

नखी 
यें साधु अपने नाखून लंबे बनाकर रखते हैं, इनके इसी कारण इन्हें नखी साधु कहते हैं। आम आदमियों के नाखूनों से बहुत ज्यादा बड़े नाखून इनके पाए जाते हैं।

जलसाजीवी
यें साधु सुबह से लेकर सूर्यास्त तक नदी अथवा सरोवर के जल में पैरों पर खड़ी अवस्था में तपस्या करते हैं

फलाहारी
यें साधु केवल फलों को ही अपने भोजन में शामिल करते हैं। इनका अपने भोजन पर पूर्ण नियंत्रण होता है। यह साधु मांसाहारी भोजन को छूना पाप समझते हैं।

टिकरनाथ 
भगवान भैरवनाथ की पूजा करने वाले साधु को टिकरनाथ साधु कहते हैं। यह साधु भोजन मिट्टी से बने हुए पात्रों में करते हैं।

त्यागी 
जो साधु भिक्षा नहीं मांगते हैं। जो कोई भी दान आदि दे देता है, उसी से गुजारा कर लेते हैं।

भोपा
यह साधु भगवान भैरवनाथ की पूजा करते हैं। भैरवनाथ के बारे में गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। यह भिक्षा मांगने के समय अपने शरीर पर घंटियां बांधे रखते हैं।

अबधूतनी 
अबधूतनी महिला साध्वी होती हैं जो त्रिपुंड बनाती और मालाएं पहनकर रहतीं हैं। यें भिक्षा मांग कर गुजारा-बसेरा करती है।

इनके अलावा साधु के कई प्रकार होते हैं जैसे कि अलूना, दूधाधारी, जलधारा तपसी, दशनामी नगर, परमहंस, मौनव्रती, नखी अघोरी, औधड़, भूखर, डंगालि, घरबारी संयासी, गुंधार कुरूर, अतुर संयासी, अंत संयासी, क्षेत्र संयासी, दशनामी घाट आदि।

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आप  इन मानव , पितृवधू , मधुहरि शब्द रूप आदि शब्द रूप के ज्ञान को अवश्य धारण करें। इससे आपके ज्ञान के भंडार में वृद्धि होगी।

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